सुचेता कृपलानी की 115वीं जन्म-तिथि पर संगोष्ठी
सुचेता कृपलानी की 115वीं जन्म-तिथि पर संगोष्ठी
27 जून, नई दिल्ली। सुचेता कृपलानी भारतीय समाज, राजनीति, स्वतंत्रता आंदोलन और मानव सेवा का वह चमकता हुआ सितारा है जिसकी चमक कभी फीकी पड़ ही नहीं सकती।
ये उद्गार वरिष्ठ पत्रकार नीलम गुप्ता ने स्व. सुचेता कृपलानी की 115वीं जन्म-तिथि पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए। संगोष्ठी का आयोजन आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किया गया था।
स्व. सुचेता कृपलानी की स्मृति में आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए नीलम गुप्ता ने कहा कि 1934 से 74 तक भारतीय राजनीति में सक्रिय रहीं सुचेता कृपलानी ऐसी कर्मयोगी थीं जिन्होंने हर काम शुद्ध मन, शुद्ध बुद्धि और शुद्ध आत्मा के साथ किया। वह जब कोई काम हाथ में ले लेती थीं तो उनके सामने व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं होता था, महत्वपूर्ण होता था काम और लक्ष्य।
उन्होंने यह भी बताया कि देश-विभाजन के दौरान आए हुए शरणार्थियों के लिए सुचेता कृपलानी ने किस प्रकार जून 1947 में ही एक राहत समिति बनाकर दिल्ली में काम करना शुरू कर दिया था। नोआखली में तो उन्हें मां कहा गया लेकिन दिल्ली में राहत समिति के कार्यों को लेकर उन्हें मां और शेरनी दोनों कहा गया।
कुमार वत्स जैसे अनेक बुद्धिजीवी, पत्रकार, प्राध्यापक आदि मौजूद थे।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं सुचेता कृपलानी की तसवीर पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। व्याख्यान के प्रारंभ में आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी अभय प्रताप ने मुख्य वक्ता का संक्षिप्त परिचय दिया तथा अंत में सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. डॉ. राकेश राणा ने किया। संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।