डिप्रा द्वारा दिल्ली मंत्रिमंडल के दानिक्स अफसरों को उच्च वेतन देने के निर्णय का स्वागत
प्रचार अधिकारीयों के वेतन बढोतरी की चीर प्रतीक्षित मांग पर सरकार मौन
पिछले तीस सालों से नहीं हुआ वेतन का पुनरीक्षण, घोर प्रशासनिक लापरवाही
दानिक्स अफसरों के मनोबल बढ़ाने की ओर सार्थक पहल
सूचना व प्रचार निदेशालय के अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन विसंगति के कारण हताशा उत्पन्न
दिनांक 07.08.15
दिल्ली सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी संघ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अद्यक्षता में दानिक्स अफसरों को उच्च वेतन देने के निर्णय का स्वागत करता है. सरकार का यह निर्णय दानिक्स अफसरों के मनोबल को बढ़ाने वाला है. DIPRA दिल्ली के लोकप्रिय सरकार से यह मांग करती है की सूचना एवं प्रचार निदेशालय में कार्यरत एक्स-कैडर- सूचनाअधिकारिओं व कर्मचारियो का वेतन विसंगति को भी तत्काल दूर किया जाये.
सरकार के द्वारा डिप्रा की मांग को लगातार नज़र अंदाज़ किया जा रहा है, खास कर वित्त और सेवा विभाग के अधिकारी लगातार मुख्यमत्री को गुमराह कर रहे है. सूचना एवं प्रचार निदेशालय में पिछले तीस वर्षों से वेतन का पुनरीक्षण नहीं किया गया है जो एक घोर प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है, सूचना एवं प्रचार निदेशालय द्वारा बार बार वित्त और सेवा विभाग में वेतन विसंगति से सम्बंधित फाइल को लगातार भेजा जा रहा है , वित्त और सेवा विभाग जान बुझ कर फाइल को ठन्डे बस्ते में डाल रहा है. मुख्यमंत्री महोदय के कहने के बाबजूद भी कार्य में कोई प्रगति नहीं हुई है.
सूचना एवं प्रचार निदेशालय में कार्यरत एक्स-कैडर- सूचनाअधिकारिओं व कर्मचारियो का वेतन विसंगति का आलम यह है कि दिल्ली के सूचना एवं प्रचार निदेशालय के सूचना अधिकारिओं का वेतनमान हेड क्लर्क के बराबर रह गया है. जबकि अधिकारी संघ लोक सेवा आयोग से चुनकर आते है और इनका वेतनमान पूर्व में दानिक्स अधिकारीयों के समान होता था. विगत तीस वर्षों में निदेशालय के अधिकारिओं/कर्मचारियो के वेतन विसंगति पर सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया और परिणामस्वरूप इनका वेतनमान आज बेहद कम रहा गया है.मुख्यमंत्री और एल जी से मिलने के बाद भी सूचना अधिकारिओं व कर्मचारियो का वेतन बढ़ाने के लिए कोई कारवाई नहीं हो रही.
सूचना एवं प्रचार निदेशालय में कार्यरत अधिकारिओं व कर्मचारियो के साथ पिछले तीस वर्षों से लगातार भेद भाव किया जा रहा है. इस बावत सुचना एवं प्रचार निदेशालय के अधिकारी दर-दर की ठोकरें खा रहें है. दिल्ली सरकार के सेवा विभाग एवं वित्त विभाग के दोहरे रवैये के चलते निदेशालय को गत एक दशक से अँधेरे में रखा जा रहा है एवं विषयों को लगातार भ्रमित किया जा रहा है. प्रशासनिक लापरवाही के चलते पिछले तीन दशक से निदेशालय के अधिकारियों की वेतन विसंगति दूर करने का कोई भी सार्थक प्रयास प्रशासनिक अधिकारियों के स्तर पर नही किया गया है. परिणामस्वरूप संघ लोक सेवा आयोग से चयनित होकर आने वाले सूचना अधिकारियों का वेतनमान हेड क्लर्क के बराबर रह गया है. जबकि आज से तीस साल पहले सूचना अधिकारियों का वेतनमान प्रशासनिक अधिकारियों से अधिक होता था.
सूचना प्रचार निदेशालय दिल्ली सरकार के जनसंपर्क कार्यों के लिए अधिकृत निदेशालय है जिसमें सचिव जनसंपर्क ही पदों को बढाने एवं वित्तीय प्रावधानों के लिए अधिकृत है. सचिव जनसंपर्क के प्रस्तावों को वित्त विभाग जानबूझकर खारिज कर रहा है जबकि वित्त विभाग का कार्य केवल वित्तीय प्रावधानों का आकलन करना है. दिल्ली सरकार के कई कैडर पोस्टों पर वेतन की बढोतरी बिना वेतन आयोग के सिफारिस/संस्तुति के की गई है जबकि पिछले तीस वर्षों से वित्त विभाग एवं सेवा विभाग सूचना प्रचार निदेशालय को गुमराह कर रहा है. गौरतलब है कि सेवा विभाग के द्वारा कभी भी वेतन आयोग में निदेशालय के अधिकारीयों के वेतन वृद्धि से सम्बंधित कोई भी पत्र वेतन आयोग को नहीं भेजा गया. दूसरी तरफ कैडर अधिकारियों/कर्मचारियों की वेतन वृद्धि बिना वेतन आयोग भेजे तीन तीन बार कर दी गई.
सूचना व प्रचार निदेशालय के अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन विसंगति के कारण अन्तर्विभागीय असमानता हो गई है. अधिकारियों/कर्मचारियों में हताशा उत्पन्न हो गया है