INDIAN RAILWAYS CATERING SERVICES CAG REPORT TO BE PRESENTED IN PARLIAMENT ON FRIDAY

भारतीय रेलवे की कैटरिंग सर्विस पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट शुक्रवार को संसद में रखी जानी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रेलवे स्टेशनों पर जो खाने-पीने की चीजें परोसी जा रही हैं, वो इंसानी इस्तेमाल के लायक ही नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेनों और स्टेशनों पर परोसी जा रही चीजें प्रदूषित हैं। डिब्बाबंद और बोतलबंद चीजों को एक्सपायरी डेट के बावजूद बेचा जा रहा है।

दुरंतो एक्स्प्रेस में तो खाने में ही चूहे और कॉक्रोच घूमते नजर आए। आनंद विहार स्टेशन से छूटने वाली एक ट्रेन में मुसाफिर ने ऑर्डर तो दिया कटलेट का, लेकिन रेलवे ने मुफ्त में लोहे की कीलें भी भेंट कर दी। रेलवे का जायका इससे भी ज्यादा कड़वा है। टीम ने पाया कि एक स्टेशन पर अनबिके और खराब हो चले पराठे फिर से मुसाफिरों की सेवा में हाजिर कर दिए। रेलवे स्टेशनों पर कैटरिंग स्टाफ के लिए दस्ताने और कैप पहनना जैसे किसी पाप से कम नहीं। कैग रिपोर्ट में लिखा है कि खाने के ठेकेदार खाने की क्वालिटी और साफ सफाई से समझौता करते हैं। दोषी पाए जाने के बाद भी उनके खिलाफ रेलवे कोई कार्रवाई नहीं करता।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि ठेके बांटने के दौरान भी घोटाला किया गया। यहां तक कि खाने को गंदगी से बचाने के लिए कवर करने से स्टाफ आंखे मूंदे रहा। अब रेलवे के अधिकारी एक्शन की दुहाई दे रहे हैं। जांच में यह भी पाया गया कि रेलवे परिसर और ट्रेनों में साफ-सफाई का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा जा रहा। इसके अलावा ट्रेन में बिक रही चीजों के बिल न दिए जाने और फूड क्वॉलिटी में कई तरह की खामियों की भी शिकायतें हैं। सीएजी और रेलवे की ज्वाइंट टीम ने 74 स्टेशनों और 80 ट्रेनों का मुआयना करने के बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रेल में यात्रियों को दी जा रही खाद्य वस्तुओं के संबंध में ठेकेदारों ने कीमतों के साथ समझौता किया और गुणवत्ता मानकों पर ध्यान नहीं दिया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2005 की खान-पान नीति के अनुसार भारतीय रेल ने खान-पान व्यवसाय को भारतीय रेलवे खान-पान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) को सौंप दिया। साल 2010 में इस नीति में फिर से संशोधन किया गया और भारतीय रेल ने IRCTC से फूड प्लाजा एवं फास्ट फूड यूनिटों को छोड़कर सभी खान-पान इकाइयों का प्रबंधन वापस लेने और इन्हें विभागीय रूप से प्रबंधित करने का निर्णय किया। खान-पान सुविधाओं की गुणवत्ता में अपेक्षानुसार सुधार नहीं होने पर रेलवे बोर्ड ने नई खान-पान नीति 2017 को प्रतिपादित की, जिसे 27 फरवरी 2017 में जारी किया गया। इसके बावजूद हालात नहीं सुधर रहे हैं। कैग ने अपनी सिफारिशों में कहा कि रसोईयानों के निर्माण के दौरान इसमें गैस बर्नर से विद्युत ऊर्जा उपकरणों के अंतरण की नीति को ध्यान में रखा जाए। लंबी दूरी की ट्रेनों के मामले में नीति के अनुसार रसोईयानों के प्रावधान पर विचार किया जाए। रेलवे खानपान इकाईयों को आईआरसीटीसी को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को सुगम बनाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि क्षेत्रीय रेलवे अपने दायित्वों का वहन करे। इसमें कहा गया है कि आईआरसीटीसी को स्टेशनों पर पर्याप्त संख्या में सस्ता जनता खाना प्रदान करने के लिये दायित्वबद्ध किया जाए और यात्रियों के बीच इसे प्रभावी रूप से प्रचारित किया जाए।

कैग ने सुझाव दिया है कि खान-पान प्रदाताओं द्वारा अनुचित पद्धतियों जैसे अधिक दाम वसूलना, निर्धारित मात्रा से कम खाना परोसना, स्टेशनों और ट्रेनों में अप्राधिकृत खाद्य सामग्री बेचना, मूल्य कार्ड का प्रदर्शन नहीं करना और बेचे गए खाने के सामान के लिये रसीद जारी नहीं करने को रोकने के लिए रेलवे द्वारा प्रभावी जांच एवं नियंत्रण सुनिश्चित किया जाए।

News Courtesy: rashtriyakhabar.com

Author: sarkarimirror