सिंगापुर में जैन धर्म की महान प्रभावना -जैन जीवन शैली को जन जन तक पहुंचाये- आचार्य लोकेश

सिंगापुर में जैन धर्म की महान प्रभावना
जैन जीवन शैली को जन जन तक पहुंचाये- आचार्य लोकेश

नई दिल्ली, 24 सितम्बर 2015: सिंगापुर जैन सोसाएटी में अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डा. लोकेश मुनि के सान्निध्य में आयोजित पर्युषण महापर्व के अंतर्गत ‘जैनशाला’ के बालक बालिकाओं की कार्यशाला आयोजित हुई|
प्रख्यात जैनाचार्य डा. लोकेश मुनि ने सिंगापुर जैनशाला के बालक बालिकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जैन धर्म, स्वस्थ, सुखी एवं आनंदमय जीवन जीने की पद्धति है| वह असाम्प्रदायिक है तथा उसे विज्ञान कि कसौटी पर कसा जा सकता है| उन्होंने कहा मौजूदा समय में चरम भौतिक विकास तथा कि उपलब्धता के बावजूद व्यक्ति सुखी नहीं है| आचार्य लोकेश ने कहा धन से सुखों के संसाधन तो खरीद सकते है परन्तु सुख नहीं| उन्होंने कहा त्याग और संयम आधारित जैन जीवन शैली को अपनाकर आतंरिक शांति और आनंद को प्राप्त किया जा सकता है|
आचार्य लोकेश मुनिजी ने कहा धर्म का भौतिक विकास से विरोध नहीं है किन्तु जो भौतिक विकास अध्यात्म की नींव आधारित होता है, वह जीवन में वरदान बनता है| अध्यात्म के अभाव में भौतिक विकास वरदान कि बजाय कभी कभी अभिशाप बन जाता है| उन्होंने जीवन में संतुलित नजरिया अपनाने कि सलाह देते हुए कहा अध्यात्म और भौतिकता के बीच संतुलन होने से स्वस्थ समाज का निर्माण होता है| आचार्य लोकेश ने कहा वर्तमान समय में धर्म और मोक्ष को भुलाकर केवल अर्थ और काम के पीछे अंधी दौड़ से विकृतियाँ पनप रही है|
कार्यशाला में सिंगापुर जैनशाला के बालक बालिकाओं ने आचार्य लोकेश से प्रश्नोत्तर के माध्यम से विभिन्न समस्याओं का समाधान प्राप्त किया| सिंगापुर जैन सेंटर के अध्यक्ष राजेश शाह एवं पदाधिकारियों ने आचार्य लोकेश का आभार व्यक्त किया|
सधन्यवाद

Author: sarkarimirror